Saturday, June 12, 2010

कांग्रेस का हाथ, हत्यारो के साथ

हादसे के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने जिला कलेक्टर को सुबह आठ बजे मुख्यमंत्री निवास पर तलब किया और कहा गया कि वारेन एंडरसन एयरपोर्ट पर आने वाला है। एयरपोर्ट अधिकारियों को आदेश दिया गया था कि जब तक जिला कलेक्टर न पहुंच जाए विमान को लैंड नहीं करने दिया जाए। इसके बाद दोपहर में मुख्य गृह सचिव ब्रह्वा स्वरूप का जिला कलेक्टर को फोन आया और कहा गया कि विमान एयरपोर्ट पर एंडरसन के लिए इंतजार कर रहा है। सारी औपचारिकताएं पूरी कर उसे जल्द से जल्द दिल्ली रवाना कर दें। जब एंडरसन को दिल्ली जाने के लिए कहा तो वह तैयार नहीं था। वह प्रभावित इलाके को देखना चाहता था। लेकिन उसे बताया गया कि इसमें खतरा है यह संभव नहीं और आपको भोपाल छोड़ना ही होगा। इसके बाद एंडरसन के साथ हुई चर्चा में उन्हें पता चला कि अमरीका में होने के बावजूद एंडरसन को हादसे की पल-पल की खबर थी । अमेरिका ने अपने यहां पर्यावरण को पहुंचे नुकसान और समुद्री जीवों व पक्षियों की मौत के एवज में उसने ब्रिटिश पेट्रोलियम नामक कंपनी से एक अरब डॉलर का हर्जाना वसूला है। दूसरी ओर, वह भारत में 35 हजार लोगों की जिंदगी लेने और छह लाख लोगों का जीवन नर्क बना देने के लिए जिम्‍मेदार अमेरिकी कंपनी द्वारा प्रति व्‍यक्ति 12 हजार रुपये की दर से दिए गए मुआवजे को पर्याप्‍त बता रहा है।

वारेन एंडरसन की रिहाई के मामले मं राजीव गांधी का नाम आ जाने से कांग्रेस सांसत में पड़ गई है और संकेत ये मिल रहे हैं कि अर्जुन सिंह जब भी बोलेंगे तो कहेंगे कि उनके पास तो पीवी नरसिंह राव का फोन आया था। राजीव गांधी भी बच जाएंगे और नरसिंह राव भी अब दुनिया मं नहीं हैं इसलिए उनका बचाव कौन करेगा? एक पल के लिए मान भी लिया जाए कि राजीव गांधी की जानकारी के बगैर एंडरसन को अर्जुन सिंह ने भाग जाने का मौका दिया और उन्हें पता भी नहीं चला तो यह तो उनके प्रधानमंत्री होने की योग्यता पर ही सवाल खड़ा करता है। कानून मंत्री मोइली चम्पी करते हुए कहते है कि जहां तक मैं सोचता हूं तो दिसंबर 1984 में एंडरसन की गिरफ्तारी के बाद हुई अचानक रिहाई के लिए पी. सी. अलेक्सेंडर खुद जिम्मेदार हैं क्योंकि उस समय वह प्रधान सचिव थे. यानि कि राजीव इतने पोचे प्रधानमंत्री थे कि उनसे शक्तिशाली तो उनका सचिव था? इस तरह अक्ल से दुश्मनी मत निकालिए मोइली साहब...
भारत से दौऊद को भी कांग्रेस ने इसी तरह भगाया. मीडिया को उस परिस्थिति को देखना होगा कि किस तरह बम्बई बोम्ब धमाके की बाद दाउद भारत से भागने में सफल रहा. उस समय की सरकार ने क्या करा था? क्वात्रोकी हो या एंडरसन ........ विदेशियों के प्रति कांग्रेस की सहानुभूति स्वाभाविक है, अब तो यह एकदम स्पष्ट हो चुका है कि : "कांग्रेस का हाथ हत्यारों के साथ" और "कांग्रेस का हाथ विदेशियों के साथ"